मौलिक अधिकारों के साथ-साथ में मूल कर्तव्यों की जानकारी होना जरूरी है-: श्री ऋतुराज सिंह चौहान जिला न्यायाधीश दतिया।
दतिया|राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली एवं म.प्र. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण जबलपुर के निर्देशानुसार एवं माननीय प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष श्री कृष्णमूर्ति मिश्र के निर्देशानुसार एवं अपर जिला न्यायाधीश एवं सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण मुकेश रावत के मार्गदर्शन में आज दिनांक:28. जुलाई 2022 को ऑनलाइन गूगल मीट ऐप्स के माध्यम से मूल अधिकार विषय पर विधिक जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया।
श्री ऋतुराज सिंह चौहान जिला न्यायाधीश दतिया द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि मौलिक अधिकार उन अधिकारों को कहा जाता है,जो व्यक्ति के जीवन के लिए मौलिक होने के कारण संविधान द्वारा नागरिकों को प्रदान किए जाते हैं।जिनमें राज्य द्वारा हस्तक्षेप नहीं किया जाता है। ये एक ऐसे अधिकार हैं, जो व्यक्ति के व्यक्तित्व के पूर्ण विकास के लिए आवश्यक हैं।और इनके बिना मनुष्य अपना पूर्ण विकास नहीं कर सकता।भारतीय संविधान में प्रत्येक व्यक्ति को समानता का अधिकार प्राप्त है।भारतीय संविधान में 06 प्रकार के मूल अधिकार दिए गए हैं।परंतु हमें मूल अधिकारों के साथ-साथ अपने कर्तव्य का भी ध्यान रखना चाहिए।
श्री मुकेश रावत जिला जज दतिया द्वारा जानकारी देते हुए बताया कि मौलिक अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को समान रूप से प्राप्त होते हैं,और हमे मौलिक अधिकारों से वंचित नहीं कर सकता है,मौलिक अधिकार भारतीय संविधान के अनुच्छेद 12 से 35 तक उपलब्ध हैं,हमें अपने मौलिक अधिकारों के साथ साथ अपने मूल कर्तव्य का पालन करना चाहिए।
उक्त कार्यक्रम में समस्त पैरालीगल वॉलिंटियर्स उपस्थित रहे।