Saturday, Jul 27, 2024
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नरक चतुर्दशी: पारंपरिक त्योहार का महत्व

भारत एक ऐसा देश है जो अपने विविध संस्कृति और पर्वों के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर हर महीने कुछ न कुछ त्योहार या उत्सव होते हैं, जिनमें से एक है “नरक चतुर्दशी”। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है और यह हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है।

नरक चतुर्दशी का महत्व: नरक चतुर्दशी का महत्व मुख्य रूप से हिन्दू धर्म में है, लेकिन यह त्योहार सभी धर्मों के लोगों के बीच मिलकर मनाया जाता है। इस दिन का महत्व पुराणों और कथाओं से जुड़ा हुआ है।

नरक चतुर्दशी का प्रमुख महत्व उस दिन हुआ था, जब भगवान कृष्ण ने देवता कालीया सरपिंग के जल में डूबने से बचाया था। इसके परिणामस्वरूप, लोग नरक चतुर्दशी को एक महत्वपूर्ण दिन मानते हैं और इसे पूजा, दीप जलाने और उपवास के साथ मनाते हैं।

नरक चतुर्दशी की परंपराएँ: नरक चतुर्दशी को बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग अपने घरों को सफाई देते हैं, और खासतर सर्दियों में सुनसान पढ़ों में अगरबत्तियों की मदद से दीप जलाते हैं। इसके बाद, परिवार के सभी सदस्य व्रत करते हैं और रात को प्रतिदिन की तरह खाने पीने के बाद नरक चतुर्दशी की कथा सुनते हैं।

नरक चतुर्दशी के उपहार और भंडार: नरक चतुर्दशी के इस पर्व पर विभिन्न प्रकार के उपहार और भंडार भी किए जाते हैं। विशेष रूप से लोग नए कपड़े पहनते हैं और अपने घरों को सजाकर खास तरीके से सजाते हैं।

नरक चतुर्दशी का संदेश: नरक चतुर्दशी का महत्व यह दिखाता है कि अच्छे कार्मिक कभी भी बुराई और दुष्टता के खिलाफ उत्तराधिकारी रहते हैं। यह त्योहार हमें यह याद दिलाता है कि हमें सत्य, न्याय, और ईमानदारी की प्रशंसा करनी चाहिए और बुराई के प्रति अपने संकल्प को मजबूत रखना चाहिए।

नरक चतुर्दशी एक मानवता के मूल्यों का सदुपयोग करने और दुष्टता के खिलाफ एक मजबूत संकल्प की प्रतीक है। यह त्योहार भारतीय संस्कृति का महत्वपूर्ण हिस्सा है और इसे सजाकर मनाने के माध्यम से हम अपने परंपराओं को जीवंत रखते हैं।

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