*गोविंद मालू*
राजगढ़ ब्यावरा की कलेक्टर निधि निवेदिता के बचाव में उतरी काँग्रेस से मैं पूछना चाहता हूँ, कि जब इंदौर में बड़वाली चौकी पर ‘सीएए’ के विरोध में धरना दे रहे एक समुदाय के लोगों ने पुलिस के साथ झूमा झटकी की, भड़काऊ नारे लगाए तब पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण करने के लिए बल प्रयोग किया। उस समय कांग्रेस ने ‘पाक पीपुल्स पार्टी’ की तरह आचरण कर, अराजक तत्वों से लड़ने वालों को लाइन अटैच कर सुरक्षा में लगी पुलिस का मनोबल क्यों गिराया?
जो लोग स्थिति को अराजक कर अपनी पीठ थपथपा रहे थे! लोगों को उकसा रहे थे कि, आपके साथ मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने भी आपके जैसा विरोध करके मार्च निकाला! आप सही हैं हमारी पुलिस गलत कर रही है। वे अपने ही प्रशासन की निंदा करने से नहीं चूके! ये तुष्टिकरण के शहंशाह, देश के टुकड़े करने वाले भ्रष्ट सत्ता लोलुप नेता हैं।
वही, दूसरी तरफ राजगढ़ में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों को कलेक्टर थप्पड़ मारे, क्योंकि वे तिरंगा लिए थे और भारत माता की जय के नारे लगा रहे थे। भारत की संसद द्वारा पारित कानून के विधि सम्मत पक्ष में खड़े होकर संविधान की रक्षा का कर्तव्य निभा रहे थे,देश द्रोही करतूतें नही कर रहे थे। प्रशासन, दमन पर आमादा था ।फिर भी,
यदि कोई गड़बड़ी दिखे तो क्या बल प्रयोग का आदेश नहीं दिया जा सकता था? क्यों खुद ही बल प्रयोग करने लग जाना चाहिए ? गोया गृह मंत्री खुद ही सीमा पर बंदूक लेकर निकल पड़े हों।
निवेदिताजी आपने कलेक्टरी को लजा दिया! आपके थप्पड़ की गूँज दूर तक जाकर नौकरशाहों की लक्ष्मण रेखा तय करेगी और चाटुकार अधिकारियों के भी भाग्य का फैसला भी करेगी?
अब केंद्र सजग, चुस्त, मुस्तैद है। उन्हें मालूम है कि संघ लोक सेवा आयोग के चुने हुए कुछ भटके परिंदों को पिंजरे में कैसे कैद किया जाए!
(लेखक गोविंद मालू बीजेपी के वरिष्ठ नेता हैं। ये उनके निजी विचार हैं। आप उनसे सहमत या असहमत हो सकते हैं। )