Friday, Oct 18, 2024
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तेजस्वी के सारे काम संदेहास्पद


पटना 31 अक्टूबर।
बिहार में महागठबंधन और एनडीए के बीच चुनावी संघर्ष काफी दिलचस्प हो गया है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार चुनाव के प्रथम चरण में भीड़ के मामले में भले ही तेजस्वी यादव थोड़े 20 पड़ रहे हैं लेकिन अंदर खाने में यह चर्चा आम हो गई है कि उनका आचरण कई मामले में एनडीए को लाभ पहुंचाने वाला है ।
सबसे पहले हुए पूरे चुनाव को ले वन मैन शो बना चुके हैं, यानी कि इस चुनाव में अकेले ही चुनाव प्रचार कर रहे हैं ।
राजद के अंदरूनी विश्वस्त सूत्रों का कहना है कि ऐसा वे मोदी और शाह के दबाव में कर रहे हैं । पूरे 243 सीट पर राजद की ओर से हुए अकेला ही स्टार प्रचारक बने हुए हैं। उनका ही एकमात्र हेलीकॉप्टर प्रचार के लिए घूम रहा है। वे अपने साथ किसी भी बड़े अल्पसंख्यक नेता या अति पिछड़ी समाज के नेता या अगड़े समाज के कोई नेता जगदानंद , शिवानंद आदि को भी साथ नहीं रख रहे हैं। उनको कोई स्वतंत्र हेलीकॉप्टर नहीं दे रहे हैं।
पूरी पार्टी को उन्होंने हाईजैक कर लिया है । ऐसा वे दिल्ली के दबाव और इशारे पर ही कर रहे हैं। दिल्ली के इशारे पर और उनकी बेवकूफी से यादव समाज जरूरत से ज्यादा मुखर और आक्रमक हो उठा है, जिसका बुरा असर अत्यंत पिछड़ी जातियों पर पड़ रहा है ।
यादव के अलावा दूसरी जातियों, अगड़ी जाति की महिलाओं पर भी महागठबंधन के जीतने पर जंगल राज के आने की आशंका बन गई है ।
इस आशंका को महागठबंधन के नेता दूर करने में सफल नहीं हो पा रहे हैं । मतलब यह कि अंदर खाने से भाजपा को कई मामले में बड़ा लाभ दिलाया जा रहा है ।
भाजपा ने वास्तव में चिराग पासवान की तरह तेजस्वी यादव को भी अपना मोहरा बना रखा है। जाने अनजाने तेजस्वी यादव भाजपा के पक्ष में ही काम कर रहे हैं और भाजपा को लाभ दिला रहे हैं ।
उनके इस कदम से राजद एवं महागठबंधन के अन्य दलों में भी खलबली मची हुई है। भाजपा के अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि लालू प्रसाद को जेल से रिहा कराने और खुद मिट्टी घोटाले आदि मामलों में जेल जाने से बचने के लिए तेजस्वी ने भाजपा नेतृत्व के सामने घुटना टेक दिया है।
उनकी हरकतों के कारण अधिकतर जिलों में यादव समाज के लड़के इतने उग्र और जोशीले हो गए हैं कि अन्य जातियों, खासकर कमजोर जातियों में उनकी सरकार बनने के बाद किए जाने वाले दहशत का आतंक अभी से दिखने लगा है ।
रही सही कसर नीतीश सरकार के मंत्री और उनके चले चपाटी कर रहे हैं। नीतीश कुमार के कार्यकर्ताओं के अलावा जीविका दीदियों आदि जितने भी उनके अदृश्य कैडर हैं , वह सारे महागठबंधन की बुराइयों को ही उजागर कर रहे हैं। इसका जनता में असर पड़ रहा है। दुखद बात यह है कि महागठबंधन के नेता इस बात को समझ रहे हैं पर तेजस्वी यादव को समझा नहीं पा रहे हैं। तेजस्वी यादव के वन मैन शो के कारण इन सारी बातों से अनजान भी हैं ।
कुल मिलाकर भाजपा अभी ऊपर से कमजोर पर अंदर खाने से वजनी दिखाई दे रही है ।
अगर भाजपा की राजनीति का तुरत काट नहीं बनाया गया तो चुनाव के बाद नीतीश कुमार अपनी सत्ता तो खो बैठेंगे ही, तेजस्वी यादव भी जेल में ही होंगे और महागठबंधन सत्ता से बाहर होगा। राजद को 40 45 से अधिक सीटें नहीं मिल पाएंगी।
यहां यह बात हमेशा ध्यान में रखनी होगी कि भाजपा के पास ईवीएम मशीनों का सहारा तो है ही साथ ही पूरे सत्ता और सरकारी मशीनरी का भी साथ है । दिखावे के तौर पर भले ही उनका नीतीश कुमार से नूरा कुश्ती चल रहा हो, लेकिन अंदर खाने में हुए वे अपना एजेंडा लागू करने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं ।
जनता को और तेजस्वी यादव को इस बात को समझ कर तुरत कोई मजबूत काट पेश करनी होगी, तभी वह लोग भाजपा के सामने मुकाबले में टिक पाएंगे ।
वरना यादव के अलावा अन्य जातियों में आने वाले जंगलराज की बात को बहुत मजबूती से फैलाया जा रहा है , जिसे समझने में अन्य जातियां देर भी नहीं लगा रही है। यह हर दृष्टि से महागठबंधन के लिए नुकसानदेह होगा ।
वामदल भी इस बात को समझ रहे हैं लेकिन दुखद बात यह है कि वामदलों के सुझाव को राजद के शीर्ष नेता जरा भी तवज्जो नहीं दे रहे हैं। विनाश काले विपरीत बुद्धि ,,,,,,, 31 साल के इस चमकते हुए और उभरते हुए नेता को समझना होगा।

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