अचानक एक खबर उठते ही जब पत्नी ने दी तो आवक रह गया मुँह से कराह भरी आह निकली लेकिन सहसा, विश्वास इसलिए हो गया क्योंकि अभी 8 दिन पहले ही पारिवारिक मांगलिक प्रसंग के निमंत्रण के सिलसिले में उन्हें फोन लगाया तो बात नहीं हुई तब उनके पति एस एन माहेश्वरीजी से पूछा तो पता लगा भाभी को कोरोना संक्रमण हो गया और मेदांता में इलाज रहा है, और स्थिति नियंत्रण में हैं।लेकिन किसे पता था कि महाकाल की चुनोती से सहज हार न मानने वाली इस तरह से हमसे बिछुड़ जाएंगी।किरणजी लोकप्रिय, सरल, सादगी से जीवन जीने वाली अपनी प्रतिबद्धताओं से समझौता न करने वाली विदुषी महिला तो थीं ही, कुशल वक्ता होने के साथ कुशल गृहिणी भी थीं।भाजपा के संगठन में उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर अपनी कुशल संगठन क्षमता से स्थान बनाया।राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व निभाया।राजस्थान से वे सांसद भी रहीं।प्रदेश में मंत्री रहीं, लेकिन गुरुर उनसे कोसो दूर ,शऊर और शौर्य उनके करीब रहा। गम्भीरता से लकदक उनकी भाव भंगिमा सहज भाव का वलय रच लेती थी।
एक बार दिल्ली में एक बैठक में हम साथ थे दोपहर को भोजन साथ लेने के उनके आग्रह को टाल न सका हम कनॉट प्लेस एक रेस्टोरेंट में गए जँहा काफी वेटिंग थी।लेकिन उन्होंने अपनी पहचान नहीं बताने दी अपने निजी सहायक को यह कहते हुए मना किया कि हमारा नम्बर आने तक इंतजार करेंगे।हम बाहर सामान्य रूप से टहलते रहे। जब जयपुर जाना होता तो उन्हें सूचना करते तो चाहे कितनी भी जरूरी बैठक हो वे समय निकाल लेती और लंबी चर्चा करतीं देश और विदेश के विषयों पर उनकी जानकारी अपडेट रहती। सिद्धांतों पर वे आग्रही रहतीं, लेकिन व्यवस्थाओं की कमजोरियों पर बोलने से नहीं चूकती।मन्त्र मुग्ध कर देने वाली वाणी से अपनी बात जिस सहजता से उचित फोरम पर और जन- मन तक पहुँचा देती थी, वह उनकी अलौकिक कला तो थीं ही, एक दिव्य भव्य अनुभूति भी थीं।
प्रतिभाओं के उन्नयन और उन्हें उचित स्थान मिले इस हेतू प्राण प्रण से प्रयासरत रहतीं मदद करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ती और नारी सुलभ ममत्व और पर दुःख कातरता का उनमें अकल्पनीय समावेश था।भारतीय संस्कृति और राजस्थान की परंपराओं को भरपूर निभाती और पालन करती।
उनका असमय जाना एक लीडर का ही नहीं एक संवेदनशील नेतृत्वकर्ता पारिवारिक भाव वाली विदुषी शक्ति पुंज का दिव्य ज्योति में विलीन हो जाना हमेशा कचोटता रहेगा। भाभी आप हमेशा याद आओगी।