आम आदमी को घर के सामने जीवन उपयोगी सामान की पूर्ति सुगम कर देते हैं। साग सब्जी से लेकर अटाले तक घर बैठे लेनदेन हो जाता है। हमारे यहां एक काका आते हैं बरसों से पहले साइकिल पर आते थे अब ठेले लाते हैं और सब्जियां दे जाते हैं कभी कोई सब्जी अच्छी नहीं होती है तो ना भी कर देते कि बेटा यह मत लो। इमानदारी से और वाजिब दाम में सब्जियाॅ देते और मुस्कुरा कर बाते करते हैं। ताले की चाबी, प्रेशर कुकर हो या गैस चुल्हा से लेकर वेल्डिंग आदि की रिपेयरिंग घर बैठे इन बंदों के कारण हो जाती है। कपड़े धोने और उनकी प्रेस का करने का काम भी घर बैठे हो जाता है। प्लास्टिक की बाल्टी-मग, झाड़ू, सीजन के फल फूल सब घर बैठे यह लोग बेचारे चाहे धूप हो बरसता पानी ठ॔ड हो गर्मी हो यह आपके लिए लाते हैं। अब यदि हम इन बंदों की तुलना भ्रष्ट बेईमान धोखेबाज मिलावटखोर धंधा करने वाले लोगों से करें तब हमें समझ में आएगा कि समाज मे असली हीरो कौन है।
अशोक मेहता, वास्तु एवं पर्यावरणविद् , इंदौर