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भारत में सुधारों की शुरुआत पुलिस सुधार से होनी चाहिए (पार्ट 3)

न्याय के मंदिर के सामने अन्याय का बोलबाला पुलिस की बेदखली से आहत, नहीं है सर छुपाने का सहारा, कड़ाके की ठंड के बावजूद अब खाने के भी लाले

राजवर्धन शांडिल्य (13/12/2020; 11:40)
इंदौर [समाचार लुकआउट]| मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सपनों का शहर और प्रदेश का आर्थिक राजधानी कहलाने वाला शहर इंदौर में पुलिस के एक से बढ़कर एक कारनामे लगातार सामने आ रहे हैं तो ठीक वही आला अधिकारी इनको नजरअंदाज कर रहे हैं। संदिग्ध क्रियाकलापों से न केवल कानून और व्यवस्था की स्थिति बिगड़ती है बल्कि जनता के बीच पुलिस की छवि भी धूमिल होती है। यह सुनिश्चित करना पुलिस का कर्तव्य है कि समाज में पुलिस अनावश्यक डर पैदा न करें और कानून व्यवस्था को बनाए रखें।
पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी ने पुलिस वालों को और अधिक संवेदनशील और जिम्मेदार बनने की जरूरत पर सभी अधिकारियों का ध्यानाकर्षण करते हुए अपने कर्तव्यों के प्रति जिम्मेदार रहने को कहा है। ताजा मामला थाना तुकोगंज और आजाद नगर टीआई से जुड़ा है। थाना तुकोगंज पर गोमा की फेल निवासी गोपाल कुशवाहा के साथ हुई निर्ममता और जादती का है जहां पारिवारिक विवाद के चलते पुलिस गृहस्थी सामान सहित थाना ले आई। तकरीबन 38 दिन से पीड़ित परिवार थाने की मुख्य दीवार पर ही अपनी गृहस्थी का सामान लिए इस आस में बैठा है कि उसे न्याय और आशियाना मिल जाएगा।
कहानी कुछ यूं है कि 1नवंबर को गोमा की फेल निवासी गोपाल कुशवाहा का पारिवारिक विवाद हुआ और जिसके बाद पुलिस उसे गृहस्थी के सामान को दो लोडिंग रिक्शा सहित थाने ले आई और मकान पर ताला लगा दिया इसके बाद पुलिस की कहानी शुरू हुई 2 दिन लोडिंग का सामान थाना परिसर में रहा फिर वाहन चालकों पर दबाव बनाकर उन्हें रवाना करने की कहानी चली इस बीच पीड़ित गोपाल कुशवाह पुलिस की मनमानी के पीछे परेशान हो रहे हैं। वाहन तो थाना परिसर में पुलिस ने जबरदस्ती रवाना कर दिए लेकिन गोपाल कुशवाह ने हाई कोर्ट के सामने थाने की मुख्य द्वार पर ही अपनी गृहस्थी का सामान उतरवा लिया और तब से अब तक दोनों बच्चों के साथ फुटपाथ पर ही गुजारा कर रहे हैं इस मामले में टीआई कमलेश शर्मा पारिवारिक विवाद बताकर पल्ला झाड़ते तो हैं लेकिन मामला उनके लिए फांस बनता जा रहा है पुलिस के अंदाज में गोपाल कुशवाहा को डराया भी जाता है पुलिस की हार तो इस बात से साबित होती है कि थाने की दीवार से गृहस्थी का सामान लोगों को ना दिखे और पुलिस का असली चेहरा समाज को नजर न आए इसलिए वहां पर ट्रेवल्स की लंबी बस को खडी कर दि जाती है। अब यह भी देखिए हाई कोर्ट के सामने मुख्य मार्ग पर थाने की दीवार से लगी ट्रेवल्स बस खड़ी कर दी मानो थाना तुकोगंज ने अपने अबतक की सबसे बड़ी कार्रवाई में देश का सबसे बड़ा आतंकवादी दाऊद इब्राहिम कासकर इसी बस से पुनः 1993 मुंबई बम ब्लास्ट को अंजाम देने की तैयारी कर रहा था ताकि पुलिस का असली चेहरा लोगों को सामने ना दिखे और टीआई की किरकिरी ना हो। पूरे मामले में टीआई पारिवारिक विवाद होने के कारण 145 की रट शुरू से लगा रहे है, लेकिन पूरे 38 दिन बीत जाने के बाद भी आज तक इस्तगासा एसडीएम ने तहसीलदार के सामने प्रस्तुत नहीं करना यह पुलिस की बड़ी नाकामी दर्शाता है। कुल मिलाकर इंदौर के पुलिस लोगों को कब्जा दिलाने मकान खाली कराने जैसे कारनामे कर रही है और पीड़ितो कि कोई सुनने वाला नहीं है। गोपाल कुशवाहा तो एकमात्र उदाहरण है ऐसे सिर्फ इंदौर शहर में ही सैकड़ों लोग रोज पुलिस के दर पर न्याय की गुहार के लिए जाते हैं लेकिन उनके हाथ में पुलिस की प्रक्रिया और लंबी उधेड़बुन में लगा दिया जाता है होना तो यह चाहिए कि गोपाल कुशवाहा जैसे हिम्मतवर आदमी हम सभी को सम्मान करते हुए उसकी न्याय की लड़ाई में उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होना चाहिए। विवाद कोई भी हो पुलिस को मकान खाली कराने और गृहस्थी का सामान ले जाने का अधिकार तो किसी कानून में नहीं है इसके लिए सक्षम न्यायालय बने हैं। शहर की बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर सरकार और पुलिस महानिदेशक को इस पर गंभीरता लेने की आवश्यकता है। शहर में अबैध बोरिग निर्माण, चोर-उचक्कों की लगातार बढ़ती हरकतें और अपराधियों द्वारा अपराध कर पुलिस के चंगुल से बाहर रवैये को देखकर क्या ये मान लिया जाना चाहिए कि पुलिस ने इन छुटभैये बदमाशों के सामने घुटने टेक दिए हैं। 

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