कोविड से सुरक्षा और रोजमर्रा की जिंदगी बदल गई
जरूरत से ज्यादा लाॅकिंग, कर्फ्यू , बंदीषे और नियमों का पालन कराने मे कहां चुक हुई कैसे चुक हुई किससे चूक हुई यह बहस का हिस्सा रह गया। जो सरकार कहती रही है वह हम सब करते रहे। अब सरकार ही कुछ प्रयास करें ताकी हमें हमारी पुरानी रोजमर्रा की जिंदगी मिल सके। कुछ बातें ऐसी है जैसे चुनाव या त्योहारो पर नियमो का उल्लंघन होने पर उन पर कार्रवाई नहीं होती। एक कार्यक्रम कोई व्यक्ति करता है तो उसके ऊपर तमाम नियम कायदे हैं। सामाजिक जिन्दगी पूरी तरह तहस-नहस होने लगी है एक दूसरे के घर आना जाना बंद हो गया। आदमी इतना डर गया कि अकेले सुबह घूमने पर भी मास्क लगाये रहने लगा। कानून ऐसे बनाएं जिससे सामाजिक जिवन बना रहे और निश्चित रूप से सब पर लागू हो सिर्फ आम आदमी पर नहीं। कोविड-19 उसके परहेज, उसका इलाज इन सब पर पूरे विश्व भर में अलग-अलग चर्चाएं और उसका सार नजर आने लगा, कई डॉक्टर्स खुलकर कहते हैं कि मास्क न लगाएं, वैक्सीन ना लें, घबराए नहीं कोरोना वायरस का इलाज था ही नही और यदि इलाज है तो इसमें घबराने की क्या बात है यह सब चर्चाए हो रही है। अब सरकार के हाथ में है कि वह इन सब बातों को किसी ठोस आधार पर ले कर जनता को बताएं कि क्या करना है और क्या नही।
अशोक मेहता, वास्तु एवं पर्यावरणविद् , इंदौर
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