आजकल यह देखने में आ रहा है कि नव युवकों में हताशा और निराशा ज्यादा है। पता नहीं यह क्यों हो रहा है शायद जरूरत से ज्यादा मॉर्डनाइजेशन, औकात से ज्यादा खर्च, घरवालो या बाहरवालो से प्राप्त अधूरी शिक्षा। उन्हें यह समझ में आना चाहिए की फैशनेबल कपड़े या हेयर स्टाइल बदलने से हीरो नहीं होंगे, उनके गुण उन्हें हीरो बनाएंगे। नव युवकों में स्वयं पर विश्वास होना चाहिए कि वे काबिल हैं, हुनरबाज है और वह बहुत कुछ कर सकते हैं। जिस तरह हीरा या अन्य नगीने के पत्थर खदान से निकलते हैं और जब उन्हें तराश दिया जाता है तो उन की चमक से सब आकर्षित होते हैं। उसी तरह आज का नवयुवक है जरूरत उन्हे तराशने की है निखारने की है और हौसला देने की है। सरकार पूरी कोशिश कर रही है, पर अब यह जिम्मेदारी उनके परिजनों की, उनके दोस्तों की, और रिश्तेदारों की है कि वह उन्हें प्रोत्साहित करें उनकी मदद करें, कोशिश करने पर नवयुवक कामयाब या नाकामयाब हो उनका हौसला ना टूटने दे। पर यह भी ध्यान रखें कि गलत राह पर चलने वाले नवयुवक की मदद ना हो जाए।
अशोक मेहता, वस्तु एवं पर्यावरणविद्, इंदौर
previous post