पत्रकारों के लिए भारतीय जनता पार्टी ने आवाज उठाने का काम किया है।
महाराष्ट्र पुलिस ने जिस तरह से हम सब के बीच के पत्रकार अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की है,जैसा व्यवहार के साथ किया है,स्वतंत्रता की आवाज़ को रोकने का प्रयास किया।
कांग्रेस ने पत्रकारों की आवाज को, जेल में डाल दिया जब इमरजेंसी लगाई थी।
अजमल कसाब को बिरयानी खिलाने का काम महराष्ट्र पुलिस करती है।
ये पत्रकारिता जगत के लिए,चौथे स्तम्भ के लिए एक काला दिवस है।
ऐसा किसी और के साथ भी हो सकता है आज किसी चैनल के पत्रकार के साथ,कल दूसरे चैनल के, पत्रकार के साथ होगा।
आज फिर गांधी परिवार ने देश की, आजादी पर हमला किया है।
महाराष्ट्र में जो सरकार काम कर रही है।उसने फिर से वो इंदिरा गांधी की इमरजेंसी को याद दिलाया है।
मुंबई पुलिस का घमंड खतम होना चाहिए।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को अपना त्याग पत्र दे देना चाहिए।