उत्तर प्रदेश में भगवान कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा (Mathura) के पास कोसी कलां (Kosi kalan) में शनिदेव का एक बेहद प्रसिद्ध मंदिर (Famous temple of Shanidev) है जिसका नाम कोकिलावन धाम शनि मंदिर (Kokilavan dham shani mandir) है. इस मंदिर का भगवान कृष्ण से भी खास रिश्ता है. ऐसी मान्यता है कि अगर कोई भक्त इस मंदिर में आकर शनिदेव पर तेल चढ़ाता है तो उसे शनि के प्रकोप और कुदृष्टि से मुक्ति मिल जाती है. साथ ही मंदिर की परिक्रमा करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होने की बात भी कही जाती है.
मंदिर की परिक्रमा करने वाले को शनि कष्ट नहीं पहुंचाते
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक कोसी कलां की इसी जगह पर खुद भगवान कृष्ण (Lord Krishna) ने शनिदेव को दर्शन दिए थे और वरदान दिया था कि जो भी मनुष्य पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इस वन की परिक्रमा करेगा उसे शनि कभी कष्ट नहीं पहुंचाएंगे. इस मंदिर का नाम कोकिलावन क्यों पड़ा, इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है.
कोकिलावन मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा
शनिदेव भगवान कृष्ण के बड़े भक्त हैं और ऐसी मान्यता है कि अपने इष्ट देव के दर्शन करने के लिए एक बार शनिदेव ने कड़ी तपस्या की, तब जाकर वन में भगवान कृष्ण ने उन्हें कोयल के रूप में दर्शन दिए थे. जिस वन में भगवान कृष्ण ने शनि देव को दर्शन दिए थे आज उसी स्थान को कोकिलावन के नाम से जाना जाता है और शनिदेव का यह मंदिर इसी जगह पर है.
भगवान कृष्ण के जन्म से जुड़ी एक और कथा
जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब समस्त देवी-देवता उनके दर्शन करने पहुंचे, उनके साथ शनि देव भी थे लेकिन कृष्ण की मात यशोदा ने शनिदेव को अपने पुत्र के दर्शन नहीं करने दिए. उन्हें लगा कि कहीं शनिदेव की वक्र दृष्टि उनके पुत्र पर न पड़ जाए. इस घटना से शनिदेव बहुत निराश हुए और नंदगांव के समीप ही वन में कठोर तपस्या करने लगे. तब श्रीकृष्ण, शनिदेव के तप से भावुक हो गए और उन्हें कोयल के रूप में यहीं दर्शन दिए.