यह जानकर कि कुछ सत्ताधारी कितनी दादागिरी करते हैं यदि साधारण भाषा में कहें तो गुंडागर्दी ही होती है। अभी बंगाल का किस्सा तो भारत की तस्वीर को शर्मसार करने वाला है। एक दूसरे से बदले की भावना, राज आते जाते हैं सरकारें बनती है और चली जाती है पर यह बदले की भावना अपनी जगह कायम है। कोई किसी को नहीं छोड़ता कोई दूध का धुला नहीं है। बदले की भावना में चाहे जिस का मकान गिरा दो। जैसे कंगना रनौत का मकान तोडा। चाहे जिस पर आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लो यह सब भारत में यह कुछ ज्यादा ही है। विरोध के नाम पर मारकाट, आगजनी, पत्थरबाजी, धरना, सड़के रोक देना, ट्रेन रोक देना, डॉक्टर जैसी हस्ती हड़ताल पर चली जाए मरीज चाहे मर जाए क्या-क्या नहीं होता है। महामारी के दौर में स्वास्थ्य कर्मी जैसे महान लोगों पर लोगों ने हमले किए क्या मानसिकता है। गरीब दलित और आम जनता के लिए सैकड़ों कानून लागू होता है पर इन सत्ताधारी के ऊपर कुछ नहीं। ये सबसे ऊपर है, अब हम इनकी तुलना ब्रिटिश राज से करें या मुगल राज से करें।
अभी निश्चित रूप से रामराज नहीं है। देश का सामाजिक पर्यावरण पूर्णत: प्रदुर्षित है।
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